Ek Deewane Ki Deewaniyat Review: एक तरफा प्यार, इमोशन से भरी है हर्षवर्धन राणे की फिल्म, पढ़ें रिव्यू
एक्टर हर्षवर्धन राणे की मोस्ट अवेटेड फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' आज 21 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी हैं. इसे लेकर तगड़ा बज बना हुआ है. इस फिल्म में हर्षवर्धन राणे के साथ एक्ट्रेस सोनम बाजवा भी नजर आई है. हमारे रिव्यू में जानिए कैसी है ये फिल्म.
कलाकार : हर्षवर्धन राणे, सोनम बाजवा
निर्देशक :मिलाप जावेरी
एक्टर हर्षवर्धन राणे की फिल्म 'सनम तेरी कसम' इस साल री-रिलीज हुई, तो दर्शकों ने उसे खूब प्यार दिया था. अब दिवाली के मौके पर हर्षवर्धन राणे अपनी फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' को लेकर आए हैं, इसमें उनकी हीरोइन सोनम बाजवा हैं.
फर्स्ट हाफ में ही दिखी दीवानियत
फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत' की शुरुआत महाराष्ट्र की राजनीति से शुरू होती है. जिसमें सत्ता के लिए संघर्ष को दिखाया गया है।
विक्रमादित्य भोसले (हर्षवर्धन राणे), जो महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की तैयारी में है. जो अपनी जिद के लिए जाना जाता है. उसकी नजर एक दिन सुपरस्टार एक दिन सुपरस्टार एक्ट्रेस अदा रंधावा (सोनम बाजवा) पर पड़ती है.जिसकी एक झलक पाने के लिए लोग काफी दीवाने होते हैं. ऐसा ही कुछ विक्रमादित्य के साथ हुआ, पहली ही नजर में उसे अदा से प्यार हो जाता है. लेकिन ये प्यार बहुत जल्द ही दीवानगी में बदल जाती है.
इस बीच विक्रमादित्य भोंसले का 'पुरुषवाद' इतना हावी होता है कि वो अदा से प्यार करने का न सिर्फ दावा करते है बल्कि उसकी परमिशन के बिना शादी का ऐलान भी कर देते हैं. हालांकि अदा को विक्रमादित्य से प्यार नहीं है. पॉलिटिशियन विक्रमादित्य से परेशान होकर एक दिन अदा चुनावी मंच पर ऐलान कर देती है कि जो विक्रमादित्य को मारेगा, वो उसके साथ एक रात गुजारेगी.
दूसरे हाफ में शुरू हुआ इमोशनल ड्रामा
पहले हाफ में विक्रमादित्य की दीवानगी और अदा की नफरत इस कहानी को सेट कर देती है. दूसरे हाफ में कहानी थोड़ी स्लो हो जाती है. इमोशनल टच देने के बाद जो डायरेक्टर मिलाप जावेरी ने मुश्ताक शेख के साथ मिलकर सीन्स लिखे गए हैं, वो थोड़े कमजोर पड़ जाते हैं. तर्क की कमी नजर आने लगती है. सियासी खेल से शुरू हुई कहानी अचानक गायब हो जाती है. हालांकि इस कहानी को अंत तक इसका म्यूजिक संभाले रखता है, पोएटिक अंदाज में डायलॉग्स जैसे 'कैसी मेरी तकदीर है कि मेरे पास सिर्फ तेरी तस्वीर है', 'तेरे लिए मेरा प्यार मरते दम तक रहेगा, तो तोड़ भी देगी दिल मेरा तो टूटा दिल तेरे लिए धड़केगा' ऑडियंस को सीटियां बजाने पर मजबूर कर देते हैं. कुल मिलाकर इस कहानी को आसान शब्दों में समझना है तो आदमी की जिद और औरत की मर्जी तक के सफर पर ये कहानी टिकी हुई है.
हर्षवर्धन की एक्टिंग पर टिकी फिल्म
हर्षवर्धन की एक्टिंग देखने लायक है, उन्होंने इस रोल को काफी दिल से निभाया है. इसके अलावा बड़े पर्दे पर सोनम बाजवा काफी सुंदर लगी हैं. फिल्म में ही नहीं बल्कि असल में भी उन्हें देख लोग दीवाने हो जाएंगे. विक्रमादित्य के पिता बने सचिन खेडेकर ने कम सीन्स में अपना दम दिखाया है. वहीं हर्षवर्धन के साथ शुरू से लेकर अंत तक शाद रंधावा नजर तो आते हैं लेकिन उन्हें क्लाइमेक्स को छोड़कर कुछ खास करने को मिला नहीं. हां, ये जरूर होगा कि क्लाइमेक्स की वजह से ही ऑडियंस उन्हें याद कर पाएंगी. देखना दिलचस्प होगा कि ये फिल्म आने वाले दिनों में क्या कमाल करती है. कुल मिलाकर जुनून और नफरत से ज्यादा इसे म्यूजिकल फिल्म कहा जाए तो बेहतर होगा. क्योंकि इस फिल्म के सभी गाने अच्छे हैं.
सनम तेरी कसम से कितनी अलग फिल्म?
ऑडियंस के लिए बता दें कि हर्षवर्धन राणे की ये फिल्म 'एक दीवाने की दीवानियत', 'सनम तेरी कसम' से काफी अलग है. इस फिल्म का उस फिल्म से कोई कनेक्शन नहीं है. सनम तेरी कसम में जहां इंदर (हर्षवर्धन राणे) को प्यार से नफरत होती है तो वहीं सारू (मावरा होकेन) को कोई प्यार नहीं करता है. फिल्म का अंत आपको पता ही है. वहीं इस फिल्म में विक्रमादित्य भोसले (हर्षवर्धन राणे) प्यार में अपना पागलपन को दिखा रहे हैं तो वहीं अदा रंधावा (सोनम बाजवा) अपनी मर्जी पर टिकी हुई है. अब विक्रमादित्य भोसले , अदा रंधावा को हासिल कर पाते हैं या नहीं इसको जानने के लिए आपको सिनेमाघरों में जाना ही पड़ेगा।
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