वंदे मातरम् के 150 वर्ष: स्वतंत्रता संग्राम से नए भारत तक गूँजता राष्ट्रस्वर
अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उठी हर आवाज में ‘वंदे मातरम्’ का स्वर शक्ति और साहस का प्रतीक बना। आंदोलन के दौरान अनेक स्थानों पर इस गीत को प्रतिबंधित किया गया, गायन करने वालों पर दमन हुआ, पर जनता के हृदय से इसे मिटाया नहीं जा सका। यही कारण है कि आजादी के उपरांत 24 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रगीत का सम्मान मिला।
देशभर में आज इस ऐतिहासिक अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, वाद-विवाद, संगोष्ठियाँ और सामूहिक गायन आयोजित किए गए। विशेषज्ञों और इतिहासकारों ने इस गीत को केवल साहित्यिक उपलब्धि न मानते हुए इसे ‘भारत की आत्मा का संगीत’ बताया। उनके अनुसार ‘वंदे मातरम्’ केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि भारत माता के प्रति भक्ति, समर्पण और राष्ट्रधर्म की जीवंत अनुभूति है।
आज, जब देश निरंतर विकास और वैश्विक पहचान की ओर आगे बढ़ रहा है, ‘वंदे मातरम्’ की यह 150 वर्ष की यात्रा हमें अपनी जड़ों, अपने संघर्षों और अपनी एकता की याद दिलाती है। यह गीत आगे भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा कि मातृभूमि से बड़ा कोई धर्म, कोई निष्ठा, कोई प्रेम नहीं।
.
.
.
#VandeMataram, #वंदेमातरम, #BankimChandraChattopadhyay, #NationalSongOfIndia, #VandeMataram150Years, #IndianHistory, #IndependenceMovement, #RavindraNathTagore, #AurobindoGhosh, #SwadeshiMovement, #VandeMataramCelebration, #India2025, #IndianCulture, #BharatMata, #VandeMataramStory, #VandeMataramSong
#Donopehlu
Comments
Post a Comment